
टीकाकरण बच्चे को उसके शरीर में वो सब एंटीबॉडी उत्पादन करने में सहायता करता है जिससे उसका शरीर उसे अन्य रोगों से लड़ने में सक्षम बनाता है।
मेडिकल भाषा में, टीकाकरण एक जैविक तैयारी है जिस प्रक्रिया में आपके शिशु के शरीर में एंटीबॉडी के उत्पादन को उत्तेजित करके उसके शरीर को विभिन्न रोगों के खिलाफ प्रतिरक्षा प्रदान की जाती। ज़्यादातर यह प्रक्रिया इंजेक्शन द्वारा की जाती है, परंतु, इसके इलावा कई अन्य विकल्पिक तरीके भी हैं जैसे नाक के द्वारा स्प्रे इत्यादि। आपके बच्चे का टीकाकरण उसके जीवन के पहले वर्ष से शुरू हो जाता है और फिर 10 से 12 साल की आयु तक जारी रहता है। इसमें कुछ अनिवार्य और कुछ वैकल्पिक (optional) टीके शामिल हैं। शिशुओं के लिए टीकाकरण अनुसूची यहाँ नीचे दी गई है। अपनी सुविधा के लिए आप इसका प्रिंट भी ले सकती हैं।
| टीका | सुरक्षा | पहली खुराक | दूसरी खुराक | तीसरी खुराक | चौथी खुराक | पाँचवी खुराक | |
|---|---|---|---|---|---|---|---|
| 1 | BCG | टीबी और ब्लैडर कैंसर | जन्म के समय | ||||
| 2 | HepB | हेपेटाइटिस बी | जन्म के समय | पहली खुराक से 4 हफ्ते बाद | दूसरी खुराक से 8 हफ्ते बाद | ||
| 3 | Poliovirus | पोलियो | जन्म के समय | पहली खुराक से 4 हफ्ते बाद | दूसरी खुराक से 4 हफ्ते बाद | ||
| 4 | DTP | डिप्थीरिया, टेटनस और पर्टुसिस | जन्म से 6 हफ्ते के अंदर | पहली खुराक से 4 हफ्ते बाद | दूसरी खुराक से 4 हफ्ते बाद | तीसरी खुराक से 6 महीने के बाद | चौथी खुराक के 3 साल बाद |
| 5 | Hib | बैक्टीरिया की वजह से होने वाले संक्रमण | जन्म से 6 हफ्ते के अंदर | पहली खुराक से 4 हफ्ते बाद | दूसरी खुराक से 4 हफ्ते बाद | तीसरी खुराक से 6 महीने के बाद | |
| 6 | PCV | निमोनिया | जन्म से 6 हफ्ते के अंदर | पहली खुराक से 4 हफ्ते बाद | दूसरी खुराक से 4 हफ्ते बाद | तीसरी खुराक से 6 महीने के बाद | |
| 7 | RV | गंभीर अतिसार रोग | जन्म से 6 हफ्ते के अंदर | पहली खुराक से 4 हफ्ते बाद | दूसरी खुराक से 4 हफ्ते बाद | ||
| 8 | Typhoid | टाइफाइड बुखार, अतिसार | जन्म से 9 महीने के अंदर | पहली खुराक से 15 महीने बाद | |||
| 9 | MMR | खसरा, कण्ठमाला, रूबेला | जन्म से 9 महीने के अंदर | पहली खुराक से 6 महीने बाद | |||
| 10 | Varicella | चेचक | जन्म से 1 साल के अंदर | पहली खुराक से 3 महीने बाद | |||
| 11 | HepA | जिगर की बीमारी | जन्म से 1 साल के अंदर | पहली खुराक से 6 महीने बाद | |||
| 12 | Tdap | डिप्थीरिया, टेटनस और पर्टुसिस | जन्म से 7 साल के अंदर | ||||
| 13 | HPV | एचपीवी से होने वाले कैंसर | जन्म से 9 साल के अंदर | 9 से 14 साल के बच्चों के लिए – पहली खुराक से 6 महीने बाद 15 साल या उससे बड़े बच्चों के लिए – पहली खुराक से 1 महीने बाद |
15 साल या उससे बड़े बच्चों के लिए – दूसरी खुराक से 5 महीने बाद |
*उपरोक्त किसी भी जानकारी का पालन करने से पहले, एक बाल रोग विशेषज्ञ से परामर्श कर लेना बहुत जरूरी है।
यदि आप टीकाकरण सूची के मुताबिक अपने शिशु को कोई महत्वपूर्ण खुराक दिलवाना भूल गई हों तो नीचे दी गई टीका अनुसूची के आधार पर आप वही खुराक दुबारा भी दिलवा सकती हैं
| टीका | सुरक्षा | पहली खुराक | दूसरी खुराक | तीसरी खुराक | चौथी खुराक | पाँचवी खुराक | |
|---|---|---|---|---|---|---|---|
| 1 | BCG | टीबी और ब्लैडर कैंसर | पाँच साल तक कभी भी ली जा सकती है | ||||
| 2 | HepB | हेपेटाइटिस बी | अगर जन्म के समय इसे भूल गये हो तो जितना जल्दी हो सके खुराक ले लो | पहली खुराक के 1 महीना बाद | दूसरी खुराक से 5 महीने बाद | ||
| 3 | Poliovirus | पोलियो | जन्म के पहले महीने | पहली खुराक के 1 महीना बाद | दूसरी खुराक से 6 महीने बाद | ||
| 4 | DTP | डिप्थीरिया, टेटनस और पर्टुसिस | कभी भी ली जा सकती है | पहली खुराक के 1 महीना बाद | दूसरी खुराक से 5 महीने बाद | ||
| 5 | Hib | बैक्टीरिया की वजह से होने वाले संक्रमण | पाँच साल तक कभी भी ली जा सकती है | पहली खुराक के 4 हफ्ते बाद | दूसरी खुराक से 6 महीने बाद | तीसरी खुराक से 6 महीने बाद | चौथी खुराक से 6 महीने बाद |
| 6 | PCV | निमोनिया | दो से पाँच साल तक कभी भी ली जा सकती है | ||||
| 7 | RV | गंभीर अतिसार रोग | पहले छह महीनों के भीतर ली जा सकती है | पहली खुराक के 4 हफ्ते बाद | दूसरी खुराक से 4 हफ्ते बाद | ||
| 8 | Typhoid | टाइफाइड बुखार, अतिसार | कभी भी ली जा सकती है | ||||
| 9 | MMR | खसरा, कण्ठमाला, रूबेला | स्कूल जाने वाले बच्चो की उम्र तक कभी भी ली जा सकती है | पहली खुराक के 4 हफ्ते बाद | |||
| 10 | Varicella | चेचक | कभी भी ली जा सकती है | 7 से 12 साल के बच्चों के लिए – पहली खुराक से 3 महीने बाद 13 से 18 साल के बच्चों के लिए – पहली खुराक से 4 हफ्ते बाद |
|||
| 11 | HepA | जिगर की बीमारी | कभी भी ली जा सकती है | पहली खुराक के 6 महीना बाद | |||
| 12 | Tdap | डिप्थीरिया, टेटनस और पर्टुसिस | 7 से 10 साल के बच्चों के लिए – पहली खुराक 11-18 साल के बच्चों के लिए सिर्फ़ एक खुराक |
7 से 10 साल के बच्चों के लिए – पहली खुराक से 1 महीने बाद | 7 से 10 साल के बच्चों के लिए – दूसरी खुराक से 5 महीने बाद |
*उपरोक्त किसी भी जानकारी का पालन करने से पहले, एक बाल रोग विशेषज्ञ से परामर्श कर लेना बहुत जरूरी है।
आइए अब हम उन बीमारियों के बारे में थोड़ी जानकारी ले लेते है जिनसे ये टीके आपके शिशु की रक्षा करते हैं।
डिप्थीरिया: डिप्थीरिया एक गंभीर संक्रामक बीमारी है, सामान्यतया यह नाक और गले की श्लेष्मा झिल्लियों को प्रभावित करता है। जिससे साँस लेने की प्रक्रिया मे कठिनाई होती है और कई बार उसे रोक भी देती है। डीटीपी टीकाकरण इस बीमारी का समाधान है।
खसरा: खसरा एक गंभीर बीमारी है। इसमे बहुत तेज़ बुखार और अन्य कई जटिलताएँ जैसे आंख और कान का संक्रमण, बहरापन, सांस की नली की सूजन, निमोनिया के संक्रमण इत्यादि होने की बहुत प्रबल आशंकाएँ होती है। खसरा मस्तिष्क में कुछ दुर्लभ जटिलताओं का कारण भी बन सकता है। इस बीमारी को भी टीकाकरण से रोका जा सकता है।
काली खांसी: यह एक खतरनाक बैक्टीरियल संक्रमण है। क्योंकि इस खाँसी मे रोगी के मुँह से `हुप-हुप` की आवाज़ निकलने लगती है, इसी वजह से इसको हूपिंग कफ`भी कहा जाता है। काली खांसी की जटिलताओं में आक्षेप यानि कि मिरगी का दौरा (convulsions), निमोनिया, कान में संक्रमण, हर्निया और कभी-कभी मस्तिष्क संबंधी रोग भी शामिल हैं। इन सब का एक ही समाधान है – डीटीपी टीकाकरण।
टेटनस: टेटनस एक संक्रामक रोग है जिससे मृत्यु तक हो सकती है। यह तब होता है जब शारीरिक घाव टेटनस बीजाणुओं से युक्त मिट्टी के संपर्क मे आकर दूषित जाता है। यह केंद्रीय तंत्रिका तंत्र यानि कि Central Nervous System (मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी) को प्रभावित करता है। इसलिए इस रोग से सुरक्षा के लिए टीके की समय पर उचित खुराक सुनिश्चित करना बहुत महत्वपूर्ण है।
पोलियो: पोलियो एक वायरल बीमारी है जो केंद्रीय तंत्रिका तंत्र Central Nervous System को प्रभावित करती है। यह अंगों के पक्षाघात यानि कि paralysis का कारण भी बन सकता है, और कभी-कभी व्यापक पक्षाघात (extensive paralysis), जिसमें श्वसन की मांसपेशियों, मेनिन्जाइटिस यानि कि दिमागी बुखार और मौत भी शामिल है। इस रोग के खिलाफ संरक्षण आवश्यक है।
उपर दिए गये टीके आपके शिशु को इन सब ख़तरनाक संक्रमणों और लाइलाज बीमारियों से बचाते है। इस लिए इनके संबंध में किसी किस्म की लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए।
इसके साथ ही मैं यह भी कहना चाहूँगी कि उपरोक्त किसी भी जानकारी का पालन करने से पहले, एक बाल रोग विशेषज्ञ से परामर्श कर लेना बहुत जरूरी है। आख़िर यह आपके शिशु की सुरक्षा का मामला है।
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