
जब आप पहली बार माँ बनने वाली होती हैं, तो आपको ढेर सारी सलाहें मिलती हैं। आप इनमें से कुछ मानती हैं, और कुछ सलाहों को अनसुना कर देती हैं।
लेकिन जब आपके घर वो नन्हा मेहमान आता हैं, तब आपकी रातों को नींदें खराब हो जाती हैं और आपको ज्यादा थकावट महसूस होती हैं। जाने-अनजाने मे मैं भी कुछ ग़लतियाँ कर बैठी थी। मैं जल्द से जल्द ठीक होना चाहती थी, और इसी बेचैनी से मैं बहुत व्याकुल हो जाती थी। मैं वही जानकारी भूलती जा रही थी, जो मैंने माँ बनने से पहले प्री-नेटल ट्रैनिंग मे सीखी थी। मुझे नहीं पता था कि मैं ऐसी गलतियां करुँगी। अब मैं इन ग़लतियों से सीख चुकी हूँ, मैं भविष्य मे ऐसी गलतियां दोबारा नहीं करुँगी (अगर भविष्य मे मैने कभी दूसरा बच्चा प्लान किया तो)। आशा करती हूँ कि इस लेख को पड़ने के बाद आप सब भावी माता-पिता, अन्य नए माता पिता द्वारा की जाने वाली गलतियाँ नही दोहराएँगे, जो पहली बार माँ बनने के बाद मैने की थी ।
1.नवजात शिशु के भूख के संकेत को समझे
मुझे पहले समझ में नहीं आ रहा था कि जब मेरी बच्ची मुंह खोलती है और अपना सिर एक दिशा में घुमाती हैं, इसका मतलब होता है कि वह फीडिंग के लिए मेरे स्तन की तलाश कर रही है।
यह उसका भूख लगने का संकेत था, जो मुझे उस वक्त नहीं पता था। अब मुझे एहसास होता है कि जब मेरी बच्ची एक विशिष्ट गति से अपना सिर घुमाती है, तब वह फीडिंग चाहती है।
2. बच्चे को अपने आप से कभी दूर ना करना और उसकी अति सुरक्षा करना
यह गलती हर माँ करती है। वह अपने बच्चे को जितना संभव हो सके, अपने पास ही रखती है। लेकिन मैंने अपने बच्ची की सुरक्षा जरूरत से ज्यादा दिल पर ले ली थी।
मैंने अपने आप को बच्ची के साथ एक कमरे में बंद कर लिया था और हर किसी को उसे उठाने और छूने से मना करती थी। अगर कोई फिर भी मेरी बच्ची को उठाता था तो मैं उस पर गुस्सा करती थी।
मैं उसे मेरे कमरे के सिवा किसी अन्य कमरे में नहीं ले जाती थी। मेरी इस ग़लती की वजह से वह मुझसे बहुत चिपकने लगी। अब मैं उसे किसी के साथ अकेला नहीं छोड़ सकती क्योंकि उसे हर वक्त मेरी जरूरत रहती है।
3. किसी की मदद ना माँगना
मुझे लग रहा था कि मैं अपने बच्ची की देखभाल खुद कर सकती हूँ । पर सच तो यह है कि बच्चे को पैदा करना आपके के लिए इतनी थकान लाता है कि आखिर मे आपको किसी की सहायता लेनी ही पड़ती है।
मैं कितनी भाग्यशाली थी कि मेरी सासु माँ ने घर मे अधिकतर चीज़ों का ख्याल रखा। लेकिन जब मैं अपने बच्ची का जरूरत से ज्यादा ख्याल रखती थी, तब मैं हर किसी को बच्ची से संबंधित कुछ भी करने से मना करती थी।
4. गैर-जरूरती चीज़ों की खरीददारी करना
जब बच्चों की बात आती है, इसमें कोई शक नहीं है कि आप उनके लिए बेहतर चीज़ें खरीदते हैं। लेकिन मैंने कुछ ज्यादा ही चीजें खरीदी, और उनमें से कुछ चीजें ऐसी थी, जो मेरी बच्ची ना ही कभी इस्तेमाल करती थी और ना ही उन्हें पहनती थी।
नतीजन, उनमें से कुछ चीजें मुझे फेंकनी पड़ी। मुझे उसके लिए उन वस्तुओं पर ध्यान देना चाहिए था, जो उसके लिए जरूरी थी।
5.पम्पिंग के महत्व को जानें
मेरी बच्ची विशेष रूप से स्तनपान नहीं करती थी। जब वह एक महीने से कम उम्र की थी, तब मैंने उसे बोतल से दूध पिलाना शुरू कर दिया था। बच्चे को नियमित रूप से दूध मिले, इसके लिए आपको पम्पिंग का इस्तेमाल करना होगा- चाहे वो हैंड एक्सप्रेस हो या पंप।
ऐसा भी समय था तब मेरी दूध की आपूर्ति बहुत ही कम हुआ करती थी और मुझे न चाहते हुए भी बच्ची को बोतल से दूध पिलाना पड़ता था। लेकिन अब अच्छी खबर ये है कि- भले ही आपके दूध की आपूर्ति कम हो, आप उसे बार बार फीडिंग करके और पम्पिंग से बढ़ा सकते हैं।
6.बच्ची के आसपास अति स्वच्छता रखना
जब शुरुआत मे मेरे बच्ची की बात आती थी, तो मैं उसके आस पास की स्वच्छता को लेकर कुछ ज्यादा ही जागरूक थी। मैं किसी को भी बच्ची को छूने से पहले उसे हाथ धोने के लिए या सैनिटाइजर का इस्तेमाल करने के लिए कहती थी।
मैं इस बात को लेकर पागल हुआ करती थी। मुझे पता था कि अगर हम बच्चे को कुछ गन्दगी महसूस करने दे तो इससे बच्चे कि रोग प्रतिकारक शक्ति बढ़ती है । पर जब मेरे नन्ही परी की बारी आयी, तब मैं हाथ धोने के या धूल छिपाने के लिए पागल थी।
7. बाहर नहीं जाना
जैसे कि मुझे किसी ने सलाह दी थी, तो पहले 50 दिन तक तो मैं अपनी बच्ची के साथ बिल्कुल भी बाहर नही निकली. और उसके कुछ हफ्तों बाद बाहर जाने को मेरा खुद का ही मन नही करता था। जितना संभव हो, मैं उतना अपनी बच्ची के पास रहना चाहती थी।
जब आप बच्चे को जन्म देते हैं, तो अपने बच्चे को लेकर इस प्रकार की मातृत्व भावनाओं का उजागर होना स्वाभाविक है । पर यह सही नहीं है। मैंने सहेलियों से मिलना-जुलना बंद कर दिया था, यहाँ तक कि मैंने अपने पति के साथ भी बाहर घूमने से मना कर दिया था।
मैं अपनी बच्ची को किसी के साथ अकेली नहीं छोड़ना चाहती थी। मैं हमेशा चिंतित रहती थी कि अगर मैं बच्ची को बाहर ले कर गई तो वह बीमार पड़ जायेगी।
8. असुरक्षा महसूस करना
जब से मैंने अपने बच्ची को जन्म दिया, मुझे हमेशा अपने शिशु को लेकर एक असुरक्षा सी लगी रहती थी। यह एक स्वाभाविक भावना होती है, और उम्मीद करती हूँ कि इस भावना को ज्यादातर माताओं ने भी महसूस किया होगा।
मैं अपने पति के सिवा किसी के साथ बच्ची को अकेली नहीं छोड़ती थी। शायद मुझे ऐसा लग रहा था कि बच्ची की अच्छी देखभाल मुझसे ज्यादा कोई और कर ही नहीं सकता। बाद में मुझे एहसास हुआ कि मेरे परिवार के हर सदस्य का मेरी बच्ची से एक रिश्ता है और मुझे उन्हें अपनी बच्ची से जुड़ने के लिए हर मौक़ा देना चाहिए था।
मुझे यकीन हैं कि आपसे भी ऐसी ही गलतियां हुई होगी या आप कर रहीं होंगी। आप को कुछ समय के बाद अपनी इन सब ग़लतियों का एहसास भी हुआ होगा। आख़िरकार, मातृत्व एक अनुभव है और कुछ बातें आप समय के साथ ही जान पाती हैं।
अगर आपने भी ऐसी ही कुछ ग़लतियाँ की हैं, जिनसे आपने बाद में बहुत कुछ सीखा हो, तो उनको अन्य नई माताओं से जरूर बाँटे। इससे उनको भी बहुत कुछ सीखने को मिलेगा।
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