
बहुत से माता-पिता यह समझ ही नहीं पाते कि उनके बच्चे को किसी खास आहार से भी एलर्जी हो सकती और अक्सर शिकायत करते हैं कि जितनी बार भी वो अपने शिशु को वही खास चीज़ देते है, उनका शिशु अस्वस्थ हो जाता है। मैं भी अपने शिशु की फूड एलर्जी के बारे पहले समझ नहीं पाई थी और पता लगने पर मैने खुद को बहुत कोसा था।
फूड एलर्जीस होती क्या है?
सबसे पहले यह जान लेते है कि फूड एलर्जीस होती क्या है? जब भी हमारी रोग प्रतिकार शक्ति (इम्यून सिस्टम)किसी फूड मे पाए जाने वाले प्रोटीन के कारण नुकसानदेह तरीके से प्रभावित होती है और हमको अस्वस्थ करती है, तो उसे हम मेडिकल भाषा में फूड एलर्जी कह देते है।
आमतौर पर ऐसा भी देखा गिया है कि यह फूड एलर्जीस आनुवांशिक (जेनेटिक) होती हैं और अक्सर देखा जाता है कि उनके परिवार में किसी ना किसी सदस्य को ऐसी एलर्जी जरूर होती है। इसके इलावा भी, क्योंकि दिनों-दिन इन एलर्जीस के अलग अलग रूप देखने को मिल रहे हैं, इसलिए यह कहना कि यह एलर्जीस तभी होती है जब परिवार में किसी सदस्य को हो, बिल्कुल गलत होगा। जिस हिसाब से फूड एलर्जीस का चलन बढ़ रहा है, चाहे आपके घर में वैसी कोई भी एलर्जी किसी को हो या ना हो, आपका शिशु उससे प्रभावित हो सकता है।
कुछ प्रमुख किस्म की फूड एलर्जीस
मेरे शिशु विशेषज्ञ ने मुझे बताया कि फूड एलर्जीस का हमारे भूगोल से सीधा संबंध है, और फूड एलर्जीस काफ़ी हद तक भौगोलिक (जियोग्रॅफिकल) होती हैं। सिर्फ़ दूध से एलर्जी ही एकमात्र ऐसी एलर्जी है, जो पूरे विश्व में पाई जाती है। भारत में जिन फूड एलर्जीस को आमतौर पर देखा जाता है वो है – दूध से, सोया से, अंडों से, मछली से, और कुछ खास तरह के नट्स जैसे मूंगफली, अखरोट, पिस्ता, और काजू। इसके इलावा भारत में चावल, आटा, और चिकन से भी शिशुओं में एलर्जी के केस पाए जाते हैं।

मेरे शिशु को बाहर के दूध से एलर्जी थी। जब भी मैं अपने शिशु को बाहर का दूध या उससे बनी कोई भी चीज़ देती थी तो तो मेरे शिशु को खारिश, स्किन रैशेज, उल्टियाँ, और कई बारी तो दस्त की वजह से मेरी बेटी सारी रात जागती रहती थी। उसको इस तकलीफ़ में देख कर मेरी जान पर बन आती. सबसे दुख की बात मेरे लिए यह थी कि काफ़ी समय तक मैं यह समझ ही नही पाई कि असल में समस्या उसकी पाचन क्रिया नही बल्कि दूध से होने वाली एलर्जी थी। मैं क़ब्ज़ के लिए ढेरो दवाइयाँ देती रही, पर असल समस्या दूध था। मुझे इस बात का पता तब चला जब मेरे शिशु विशेषज्ञ ने मुझे फूड एलर्जी टेस्ट के बारे में बताया।
यह एलर्जी टेस्ट कैसे लिया जाता है

सबसे पहले में आपको बताना चाहूँगी कि यह टेस्ट दो तरीक़ो से होता है – एक स्किन प्रिकिंग और दूसरा ब्लड टेस्ट यानि की खून की जाँच। किसी भी और किस्म के टेस्ट के लिए अगर आपको कोई कहे तो आपका जवाब ना होना चाहिए। बहुत से अप्रमाणित लोग और लॅबोरेटरी वाले सिर्फ़ पैसा हड़पने के लिए आपको वहमों में डाल सकते है।
स्किन प्रिकिंग टेस्ट
स्किन प्रिकिंग टेस्ट में, जिस भी फूड से एलर्जी का अंदेशा होता है उसकी तरल फॉर्म स्किन पर लाँसेंट (जिस तरह से मलेरिया की जाँच की जाती है; बारीक सुई चुभाई जाती है) से रखी जाती है। अगर आपका शरीर उस फूड से अलर्जिक है, तो उस हिस्से में 10 मिनिट में 3MM साइज़ तक का एक एलर्जिक बंप (जैसा मच्छर के काटने से होता है) बन जाता है। अगर ऐसा होता है तो समझ ले कि आपके शिशु को उस फूड से एलर्जी है।
ब्लड टेस्ट
इसमे खून का एक नमूना लिया जाता है। इसमे खून के उस नमूने की आपके शरीर से उस फूड से एलर्जिक हो कर बनने वाली एंटीबॉडीस की जाँच होती। और आख़िर में आप यह जान लेते है कि क्या उस खास फूड से आपके शिशु को एलर्जी है या नहीं।
यहाँ यह भी ध्यान में रखे कि इन टेस्टों से सिर्फ़ फूड एलर्जीस का पता लगा सकता है। उन एलर्जीस से शरीर को किस हद तक नुकसान होगा, यह पता कर पाना मुमकिन नहीं।
क्या मेरा शिशु को सारी उमर इन फूड एलर्जीस के साथ जीना पड़ेगा और इसका कोई हल नहीं है?
मेरे शिशु विशेषज्ञ ने मुझे बताया कि बहुत से मौकों पर तो यह एलर्जीस, ( ख़ासतौर पर अंडे, दूध और सोया से होने वाली एलर्जीस) समय के साथ ठीक हो जाती है। पर कुछ हालातों में (सिर्फ़ 4 प्रतिश्त) यह एलर्जीस स्थायी हो जाती है।
मेरे शिशु के बारे मे शिशु विशेषज्ञ ने बताया कि डरने के आवश्यकता नहीं है क्योंकि समय रहते यह ठीक हो जाएगी। मैने अपने शिशु विशेषज्ञ की सलाह मान कर दूध और उससे बनी सभी चीज़ो को अपनी बेटी के डाएट चार्ट से निकल दिया है। ना दूध, ना माखन, ना पनीर और ना ही बच्चों की पंसदीदा आइस्क्रीम। दुख तो होता है, पर क्या करू? यहाँ सवाल मेरे शिशु के स्वास्थ्य का है।
मेरे शिशु विशेषज्ञ ने यह भी बताया कि हमको फूड एलर्जी और फूड इनटॉलरेन्स को एक नज़र से नहीं देखना चाहिए। साफ शब्दों में फूड एलर्जी हमारे शरीर के इम्यून सिस्टम की वजह से होती है और फूड इनटॉलरेन्स का सीधा संबंध हमारी पाचन क्रिया से होता है। अगर आपके शिशु में आपको किसी खास फूड को खाने के बाद पेट दर्द, उल्टी, सूजन, गैस या दस्त जैसे लक्षण नज़र आए तो यह फूड इनटॉलरेन्स हो सकती है।
तो अपने आप से फूड एलर्जी टेस्ट करवाने से बेहतर है कि अपने शिशु विशेषज्ञ की सलाह ले। उसके कहने पर ही आपको फूड एलर्जी टेस्ट करवाने चाहिए।
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