
इस बात में कोई दो राय नहीं है कि स्तनपान शिशुओं के लिए कितना महत्वपूर्ण, लाभदायक और ज़रूरी है। जो फायदे आपके शिशु को स्तनपान से मिल सकते हैं, उनकी कमी को कोई और उत्पाद पूरा नहीं कर सकता। इसलिए, माताओं से यह निवेदन किया जाता है कि अपने शिशुओं को निर्धारित अवधि तक स्तनपान ज़रूर करवाएँ। फिर भी, इन दिनों, बहस का विषय यह है कि किस उम्र तक शिशु को स्तनपान करवाना चाहिए ?
अगर हम पिछले कुछ सालों की बात करें, तो ऐसा कोई भी सवाल कभी किसी ने नहीं पूछा। क्योंकि, पिछले कुछ दशकों में शिशु जब तक चाहते थे, माताएं स्तनपान करवाती थीं। पुराने समय में तो कई माताओं ने अपने शिशुओं को 4 से 5 साल तक की आयु तक भी स्तनपान करवाया है।
लेकिन आजकल माताओं की प्राथमिकताएं बदल गई हैं। स्तनपान करवाने वाली हर माँ का सबसे बड़ा सवाल यही होता है कि उन्हें कब तक स्तनपान जारी रखना चाहिए? स्तनपान कब रोकना है, यह हर माँ के लिए एक अहम फैसला होता है। इस प्रश्न का उत्तर देने से पहले, आइए कुछ चीज़ों पर विचार कर लेते हैं –
- विशेष रूप से 6 महीने तक स्तनपान करवाने की सलाह दी जाती है।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) कम से कम दो वर्ष तक स्तनपान करवाने को अच्छा समझता है।
- आप जितनी लम्बी अवधि के लिए स्तनपान करवाएंगी,उतना ही आपके शिशु के लिए लाभदायक है।
- स्तनपान से, बच्चे और माँ दोनों को लाभ मिलते हैं।
- स्तन का दूध आपके बच्चे की आवश्यकताओं के अनुसार अपनी संरचना में बदलाव लाने में सक्षम है और ज़रूरत के हिसाब से शिशु को सभी पोषक तत्व प्रदान करता है।
शिशु को पहले छह महीनों तक स्तनपान करवाना बहुत ज़रूरी है। ऐसा करने से, एक तो आप आपने शिशु के शरीर को बहुत सी बीमारियों से लड़ने के लिए ज़रूरी प्रतिरक्षा प्रदान कर रहीं है, और दूसरा, 6 महीने तक स्तनपान करवाने की सलाह हर बाल रोग विशेषज्ञ देता है। चाहे कुछ भी हो, अगर आप अपने शिशु की बेहतरी चाहती हैं, तो कम से कम 6 महीने तक उसे स्तनपान हर हालात में करवाएं।
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यदि हम वैज्ञानिक सबूतों को आधार मानें, तो उनके अनुसार एक शिशु को कम से कम एक वर्ष तक स्तनपान करवाने की सलाह दी जाती है, जिससे शिशु के शरीर को स्तनपान से मिलने वाले सभी एंटीबॉडीस मिल सकें। इसका सीधे शब्दों में अर्थ यह है कि अगर आप अपने बच्चे को एक साल तक स्तनपान नहीं करवाती हैं, तो उसको स्तनपान से मिलने वाले लाभ पूर्णता नहीं मिलेंगे।
क्या आपने कभी गौर किया है कि जब हम बच्चे थे, तो हमारी उम्र के अन्य बच्चे बहुत कम बीमार पड़ते थे? इसका प्रमुख कारण है कि शिशुओं को 6 महीने से भी अधिक समय के लिए स्तनपान करवाया जाता था।
जितना अधिक बच्चा स्तनपान करता है, उतना ही बीमारियों के प्रति उसके शरीर की प्रतिरक्षा बढ़ती जाती है। यह एक ऐसा तथ्य है, जिसको किसी प्रमाण की कोई आवश्यकता नहीं है। यह मेरा निजी अनुभव है कि जिन लोगो ने 2 वर्ष या उससे ज़्यादा तक स्तनपान किया है, उनके शरीर की बीमारीओं से लड़ पाने की क्षमता उन लोगों से बहुत ज़्यादा है, जिन्होंने केवल 3-6 महीने के तक स्तनपान किया था।
स्तनपान न केवल बच्चे को कान के संक्रमण, मधुमेह, त्वचा रोग, जठरांत्र संबंधी समस्याओं, अचानक होने वाली मृत्यु (SIDS) से प्रतिरक्षा प्रदान करता है, बल्कि माता को भी स्तन कैंसर, डिम्बग्रंथि के कैंसर (ovarian cancer) और टाइप 2 मधुमेह से प्रतिरक्षा प्रदान करता है।
इसके अलावा, शायद आप जानती ही होंगी कि माताओं का शरीर इस तरीके से बना होता है कि यदि उनका बच्चा बीमार पड़ जाए, तो माँ का दूध कुदरती रूप से अपना स्वरूप बदल लेता है ताकि शिशु को उस समय की ज़रूरत के हिसाब से सभी पोषक तत्व मिल सकें।
इसलिए स्तनपान और स्तन के दूध के पक्ष में इन सभी बातों और वैज्ञानिक प्रमाणों पर विचार करते हुए, व्यक्तिगत तौर पर मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि आपको पहले छह महीनों के लिए विशेष रूप से अपने बच्चे को स्तनपान करवाना चाहिए और कम से कम एक वर्ष तक जारी रखना चाहिए।
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निजी तौर पर, मैं शिशु को लम्बे समय तक स्तनपान जारी रखने के पक्ष में हूँ। वैसे भी अगर लम्बी अवधि तक आपके द्वारा किये जाने वाले कुछ प्रयासों से, आपके शिशु को अनगिनत बीमारियों से सुरक्षा मिल सकती है, तो उन्हें करने में हर्ज़ ही क्या है?
आपकी इस विषय में क्या राय है? क्या आप भी इस दौर से गुज़र चुकी हैं? आपके अनुसार किस उम्र तक स्तनपान करवाते रहना सही है? हमसे ज़रूर बांटे।
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