
क्या नवजात शिशु के शरीर पर भी अत्यधिक बाल होना सामान्य है? हम से यह प्रश्न कई बार पूछा गया है। आज, हमारे विशेषज्ञों में से एक इस मुद्दे पर अपनी राय देंगे। इस लेख के अंत में, आप यह भी जान लेंगी कि क्या ऐसी स्तिथि में घरेलू उपचार से एक अच्छा विकल्प है या नहीं।
गर्भवती होने के पहले दिन से ही आपके मन में एक ही सवाल बार- बार उठने लगता है कि – जन्म के बाद मेरा शिशु देखने में कैसा होगा? यह बात मैं अपने खुद के अनुभव से कर रही हूँ। आप मन ही मन आशा करती हैं कि आपका शिशु दुनिया में सबसे सुंदर दिखे, वह जब जन्म ले तो उसका चेहरा हसंता हुआ सा हो, उसकी त्वचा एकदम मखमली हो, उसकी आँखे बड़ी-बड़ी हों। एक शिशु के लिए, माँ के न जाने कितने अरमान होते हैं।
कुछ मामलों को छोड़ कर, ज़्यादातर बच्चे उनकी माँ की अपेक्षाओं के विपरीत जन्म लेते हैं। ऐसा होते ही माँ के सब अरमान बिखर जाते हैं। यह कड़वा ज़रूर है, पर सच है। वास्तव में, बच्चे पैदा होने के समय उतने खूबसूरत नहीं होते, जितनी उनकी माँ ने कल्पना की होती है। 9 महीने गर्भ में रहने की वजह से उनकी त्वचा झुर्रियों वाली होती है, आँखों और चेहरे पर सूजन सी दिखाई देती है। और, शिशु हँसते हुए तो बिल्कुल पैदा नहीं होते।
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ऊपर लिखी चीज़ों में से एक चीज़ जो ज़्यादातर शिशुओं में एक जैसी होती है, वह है शिशु के शरीर पर बाल। उनके शरीर पर बहुत ज़्यादा बाल होते हैं। कई शिशु जब पैदा होते है, तो उनके सिर पर बाल नहीं होते, परन्तु कुछ समय के बाद आ जाते हैं। जब परिवार के अन्य सदस्य नवजात शिशु के शरीर पर बाल देखते हैं, तो वह इन बालों से छुटकारा पाने के अपने देसी नुस्खे (उबटन लगाना) बताने लगते हैं। वास्तव में, यह शरीर के बाल कुछ समय बाद खुद ही झड़ जाते हैं।
आइए, इस संबंध में कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं पर बात करते हैं –
- सभी नवजात शिशु शरीर पर बालों के साथ पैदा होते हैं और इनको लानुगो कहा जाता है।
- जब बच्चे गर्भ में होते हैं, उस समय के दौरान उनके शरीर के बाल विकसित होते हैं।
- समय से पहले जन्म लेने वाले बच्चों के शरीर पर जन्मजात शिशुओं के मुकाबले अधिक बाल होते हैं।
- आमतौर पर बच्चे के शरीर के बाल खुद ही 3 महीने तक झड़ जाते हैं।
- कुछ मामलों में, शरीर पर अत्यधिक बालों का होना अनुवांशिक भी होता। ऐसे मामलों में इन बालों से छुटकारा पाने के लिए कुछ नहीं किया जा सकता।
- यहाँ पर इस बात का खास ध्यान रखें कि अगर आप अपने बच्चे की नाज़ुक और संवेदनशील त्वचा पर किसी घरेलु उपचार को करने का प्रयास करते हैं तो आपके शिशु की त्वचा पर किसी तरह की एलर्जी होने की आशंका बढ़ जाती है।
मेरे भांजे के साथ ऐसा ही हुआ था। जब मेरी बहन ने, शरीर के बालों से छुटकारा पाने के लिए, उसके शरीर पर बेसन, हल्दी, और दूध से बना लेप लगाया, तब बाल तो झड़ गए, परन्तु उसकी पूरी पीठ लाल हो गई। हालाँकि, उसकी पीठ एक दिन में ठीक हो गई, परन्तु हमने कसम खाई कि हम इस तरह का कोई भी घेरलू उपचार दुबारा नहीं करेंगे।
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इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपके परिवार के अन्य सदस्य इस विधि (उबटन) को कितने समय से इस्तेमाल कर रहे हों, क्योंकि इस विधि के सही होने का कोई वैज्ञानिक या मेडिकल प्रमाण नहीं है, तो मेरा आपसे निवेदन है कि इसको अपनी सूझ-बुझ से ही करें।
अगर आप, इस विधि को इस्तेमाल करने हेतु मेरी राय पूंछे, तो मैं इसको करने की सलाह नहीं दूंगी मुझे याद है कि मेरी बेटी के शरीर पर भी बहुत ज़्यादा बाल थे, और मुझे भी बहुत से लोगों ने इस विधि को अपनाने की सलाह दी थी, लेकिन मैंने ऐसा कुछ नहीं किया। मैं जानती थी कि बिना किसी देसी इलाज़ के, यह बाल खुद ही झड़ जाएंगे।
यहाँ मैं यह कहना चाहूंगी कि आपको शरीर के बालों को लेकर हड़बड़हाट नहीं दिखानी चाहिए। समय के साथ शिशु के शरीर में वृद्धि निश्चित है और जब तक आपका शिशु एक साल का होगा, उसके शरीर में काफी परिवर्तन हो चुके होंगे। इस समय के दौरान, आप मातृत्व का आनंद लें।
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