
हर माता-पिता का यही सपना होता है कि उनका बच्चा जीवन में सफल हो। अधिकतर मामलों में उनकी सभी आशाएं धरी की धरी रह जाती हैं। लेकिन, क्या आप जानते हैं ऐसा क्यों होता है? आपके बच्चे का भविष्य कैसा होगा, यह काफी हद तक इस बात पर निर्भर करता है कि बच्चे का भविष्य बनाने में आपका क्या और कितना योगदान है। हम में से बहुत से माता-पिता यह भूल जाते हैं कि बच्चों में अच्छे संस्कारों के साथ उन विचारों को भी डालना पड़ता है, जिनसे वह अपने जीवन में हमेशा प्रेरित, प्रयत्नशील और कार्यशील रहते हैं। इसके साथ, न वह ज़िन्दगी में कभी हार नहीं मानते और न ही संघर्ष से डरते हैं। अगर आप भी चाहते है कि आपका बच्चा एक बेहतरीन ज़िन्दगी जिए, तो अपने बच्चे की कामयाबी के लिए इन 5 चीजों का पालन अवश्य करें।
1उन्हें एक छोटी उम्र से जिम्मेदारियां दें
किसी 4-5 साल उम्र के बच्चे को जिम्मेदारियां देना थोड़ा अटपटा जरूर लग सकता है। लेकिन, जितनी जल्दी आप उन्हें जिम्मेदारियां दे देंगे, उतना ही बच्चों के भविष्य के लिए बेहतर रहेगा। ऐसा तभी होता है जब एक बच्चे को दैनिक आधार पर कोई कार्य करने को कहा जाता है और इसे रोजाना करने को ही वह अपनी जिम्मेदारी समझता है।
उदाहरण के लिए, अपने बच्चे को छोटी सी जिम्मेदारी दें जैसे कि खेलने के बाद खिलौनों को फिर से खिलौने के बक्से में वापस रखना। जब बच्चा थोड़ा बड़ा हो जाए, तो उसे उसके झूठे बर्तनों को रसोई की सिंक में रखने या जागने के बाद हर सुबह अपने कमरे की सफाई करने के लिए कहा जा सकता है। ऐसे कई काम हैं, जिनको देकर आप बच्चे को जिम्मेदारी निभाना सीखा सकते हैं। यदि आप उन्हें चीजें सही समय पर सिखाते हैं, तो जिम्मेदारियों को जल्दी समझने लगेंगे और वे यह समझ जाएंगे कि समाज के सुधार के लिए, उन्हें भी योगदान देना होगा।
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माता-पिता होने के नाते आप जितना अधिक अपने बच्चों को जिम्मेदारियों से बचाते हैं, वह बढ़े होकर उतना ही सुस्त हो जाएंगे। इसके अलावा, वे अपने हर काम के लिए दूसरों पर निर्भर हो जाएंगे, और मेहनत करने से बचने के लिए बहाने बनाते रहेंगे।
2किताबें पढ़ने की आदत डालें
भारत में अभी भी लोगों को पाठ्यक्रम के अलावा अन्य किताबें पढ़ने का शौंक नहीं है। हम में से बहुत से लोग सिर्फ कोर्स की किताबों तक ही सीमित रह जाते हैं। उनके लिए पाठ्यक्रम से हट कर कुछ और पढ़ना एक चुनौती जैसा है। लेकिन, आपको जानकर हैरानी होगी कि विश्व में जितने भी स्वयं निर्मित करोड़पति हैं, उन पर किए गए एक अध्ययन में यह पाया गया कि उनमें से 60% करोड़पतियों को उनके माता-पिता द्वारा एक महीने में दो या दो से अधिक किताबें पढ़ने के लिए कहा जाता था।
हमारा मानना है कि केवल यही एक कारण आपके लिए छोटी उम्र से किताबें पढ़ने की आदत डालने के लिए पर्याप्त है। बच्चों की किताबों के प्रति रूचि पैदा करने के लिए, बाजार में अनगिनत किस्म की किताबें उपलब्ध हैं। किसी की जीवनी से लेकर इतिहास से संबंध रखने वाली किताबों के विकल्प अंतहीन हैं। उनकी इस आदत को प्रेरित करने के लिए, अपने बच्चों से पढ़ी गई किताब में से सवाल-जवाब करना न भूलें। इससे उनकी किताबों को लेकर जिज्ञासा और बढ़ेगी।
3उनके लिए उच्च लक्ष्य और अपेक्षाएं निर्धारित करें
कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, लॉस एंजिल्स (यूसीएलए) और अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स के शोधकर्ताओं ने खुलासा किया कि अपने बच्चे को लेकर माता-पिता की उम्मीदें ही, बच्चों की स्कूल में सफलता की भविष्यवाणी करते हैं।
आसान शब्दों में कहा जाए, तो अगर आप अपने बच्चों से अच्छी उम्मीदें रखते हैं, तो परिणाम निश्चित रूप से बेहतर होंगे। बहुत से मामलों में, जो माता-पिता वर्तमान में आर्थिक समर्थता न होने पर भी, अपने बच्चे के लिए उच्चतर शिक्षा का सपना देखते हैं, वह आगे चलकर, न केवल अपनी आर्थिक समर्थता को बढ़ा लेते हैं, बल्कि बच्चों को एक अच्छा भविष्य देने में समर्थ हो जाते हैं।
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अगर किसी कारणवश आपकी शिक्षा पूरी नहीं हो सकी, तो आपको हर हाल में यह कोशिश करनी है कि आपके बच्चे की शिक्षा अधूरी न रहे।
4उन्हें अपनी कड़ी मेहनत के साथ एक उद्देश्य को जोड़ना सिखाओ
हममें से बहुत सारे, किसी एक काम को कुछ समय तक बार-बार करने के बाद ऊब जाते हैं। लेकिन हमें अपने बच्चों को इस आदत से बचाना है।
आपका बच्चा कुछ भी सीखे या पढ़े, उस चीज के लिए अपने बच्चे में इस हद तक भावुकता और इच्छा को बढ़ा दें कि वह लम्बे समय तक उसकी रूचि समाप्त न हो। आपको उन्हें दीर्घकालिक योजना (एक उद्देश्य) पर ध्यान केंद्रित करने और जुनून के साथ उसे हासिल करने के लिए हर रोज प्रेरित करते रहना चाहिए।
5उन्हें जीतने के साथ-साथ असफल होने के बारे में भी सिखाएं
ज्यादातर माता-पिता अपने बच्चों को प्रतिस्पर्धा या कक्षा में सिर्फ जीतना ही सिखाते हैं और असफलता से निपटने के बारे में बताना भूल जाते हैं। सफलता की तरह असफलता को समझना भी उतना ही महत्वपूर्ण है।
जब कोई बच्चा हार जाता है या अपने माता-पिता की अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतरता, तो उसे ऐसा लगता है कि उसका हारना दुनिया का अंत है और अब इस हार के आगे उसके लिए कुछ नहीं बचा है। लेकिन, जिस बच्चे को असफलता से निपटना सिखाया जाता है, वह असफल होने के महत्व को समझता है। असफलता को खुद पर हावी न होने देना, वह इसे भी प्रेरणा के रूप में लेता और खुद को अगली चुनौती के लिए बेहतर रूप से तैयार करता है। ऐसा बच्चा स्वाभाविक रूप से अपने साथियों द्वारा भी पसंद किया जाता है।
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सुनिश्चित करें कि आपका बच्चा हर असफलता को सफलता की दिशा में एक नए मौके की तरह देखता हो और हर असफलता से कुछ सीखे। अपने बच्चे को सिखाएं कि चाहे सफलता हो या असफलता, किसी भी चीज को दिमाग पर हावी न होने दें।
अगर आपके पास भी इस विषय में कोई अनुभव है, तो हमारे पाठकों से जरूर साँझा करें।
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