
हममें से कोई भी निर्देश मैनुअल या दिशानिर्देशों के साथ पैदा नहीं होता है। बहुत सी बातों के लिए हमें अन्य लोगों पर निर्भर रहना पड़ता है। माता-पिता बनने के बाद हम कई ऐसी चुनौतियों से निपटते हैं और शिशु की पॉटी ट्रैनिंग भी उमसे से एक है।
बच्चे की पॉटी ट्रैनिंग शुरू करवाने के लिए सही समय तब होता है जब भी आपका बच्चा अपने खुद के भार को उठाने में और खुद से खड़े होने मे सक्षम हो जाता है। इसमे कोई शक नही है कि पहले यह प्रक्रिया आँसू, चीखने-चिल्लाने, और अन्य विरोध प्रतिक्रियाओं से शुरू होती है। और, यह बहुत सामान्य बात है। पर जाहिर सी बात यह भी है कि अपने शिशु को सिखाने से पहले हमें खुद यह जानने की ज़रूरत है कि पॉटी ट्रैनिंग के दौरान आने वाली मानसिक एवम् अन्य परेशानियों से कैसे निपटा जाए। आपके लिए कुछ सुझाव यहां दिए गए हैं; इनके बाद आपके लिए और आपके बच्चे के लिए पॉटी ट्रैनिंग बहुत ही आसान हो जाएगी।
आमतौर पर देखा गया है कि कई माताएँ अपने बच्चे की पॉटी ट्रैनिंग के बारे मे बड़े-बड़े दावे करती है कि उनका बच्चा बहुत ही कम उमर मे खुद से पॉटी करना सीख गया था। हालांकि, वास्तविकता मे ऐसा नही होता और बहुत जल्दी पॉटी ट्रैनिंग ख़त्म कर लेने वाले बच्चे बहुत कम होते हैं।
पहला कदम – पॉटी ट्रैनिंग की तैयारी
अपने बच्चे की पॉटी ट्रैनिंग शुरू करने से पहले यह सुनिश्चित कर ले कि आपको अपने शिशु की पॉटी ट्रैनिंग को बहुत ही सकारात्मक बनाना है। कृपया ध्यान रखें कि पॉटी ट्रैनिंग आपके शिशु के लिए एक नयी चुनौती है और जिस तरह से आप चाहती हैं, हो सकता है कि आपका शिशु वैसी प्रतिक्रिया ना करे।
बात जब शिशु को कुछ सिखाने की होती है तो मेरे मुताबिक पुरस्कार और प्रोत्साहन जैसे कदम इस ट्रैनिंग को और भी मज़ेदार बना देते है। इसलिए आपको इन दोनो चीज़ो का भरपूर इस्तेमाल करना चाहिए। साथ ही, आपको किसी भी आलोचनात्मक और सजा देने वाले व्यवहार से बचने की आवश्यकता है।
मेरे मामले में, 18 महीने (लड़कों के मामले में 22 महीने सही उम्र) के बाद मैंने अपने बच्चे की पॉटी ट्रैनिंग शुरू कर दी थी। शुरुआत मे, मेरी बेटी ने पूरा प्रयास किया कि मैं टॉयलेट सीट का उपयोग न करू। लेकिन, बाद मे, मैंने उसे प्यार से अपने निर्देशों का पालन करने के लिए मना ही लिया। मुझे लगता है कि पुरस्कार देने वाला तरीका मेरे लिए भी काम कर गया।
अपने शिशु को सिखाए कि कब उसको पॉटी के लिए कहना है और कब पेशाब करने के लिए
अपने बच्चे की पॉटी ट्रैनिंग से पहले आपको उसके इशारो को समझना बेहद जरूरी है क्योंकि उनको समझने के बाद ही आप उन संकेतो को अपने शब्द दे पाएँगी। पहले आपको जानना है कि आपके शिशु की पेशाब और पॉटी के लिए क्या प्रतिक्रिया है।
माता-पिता होने के नाते आप नोटिस करने वाले पहले व्यक्ति होंगे इसलिए आपको अपने बच्चे के शरीर के संकेतों को पहचानना सीखना होगा। जैसे वह एक पैर से दूसरे तक चलता है, या अपने पेट को कस के पकड़ता है, इत्यादि। ऐसे संकेत मिलते है उनको सही शब्दों से बदल दे। अपने शिशु को सिखाए कि कब उसको पॉटी के लिए कहना है और कब पेशाब करने के लिए।
जब भी आपका बच्चा इन संकेतो को ठीक से समझ कर आपको ठीक से बताता है, उस वक़्त आपको बच्चे की सराहना करनी चाहिए। शुरुआत मे, जब तक आपका बच्चा शौचालय जाने की प्रक्रिया से अच्छी तरह परिचित नहीं हो जाता, आप अपने शिशु की हर संभव मदद करे।
अपने बच्चे की पॉटी सीट को उसकी पसंदीदा बनाए
एक बच्चे के लिए पॉटी सीट एक नई चीज़ होगी। इसलिए इसको दिलचस्प बनाने के लिए आप जो भी अच्छा कर सकते हैं, जरुरू करे।
मेरी बेटी शुरू से ही बहुत ही स्वामित्व स्वाभाव वाली है और केवल अपनी चीज़ो से ही खुश होती है। बचपन मे अपनी चीज़ ना किसी को देती थी और ना किसी की चीज़ लेती थी। पॉटी सीट उसको अपनी लगे, इस के लिए मैने बहुत मशक्त की थी। मैने अपनी बेटी के पसंदीदा कार्टून चरित्र के स्टिकर इत्यादि उसकी पॉटी सीट पर लगाए थे। ऐसा करने से मेरे बेटी को पॉटी सीट को अपना मानने मे ज़्यादा समय नही लगा और ना ही मेरे बेटी ने पॉटी सीट को स्वीकार करने मे कोई संकोच दिखाया।
इसके साथ ही मैं यह भी कहना चाहूँगी कि सुरक्षा उपायों के महत्त्व को अनदेखा ना करे; पॉटी ट्रैनिंग एक ही रात मे पूरी नही हो सकती और इसके दौरान दुर्घटनाएं भी हो सकती हैं। इसलिए ऐसी कुछ स्थितियों के बारे पहले से जागरूक होने मे कोई खराबी नही है।
चाहे आपका बच्चा अपने पॉटी ट्रैनिंग के पहले चरण को आसानी से और जल्दी से पार कर लेता है, फिर भी उसे गले लगाना और उसे पुरस्कार या प्रशंसा देना ना भूले। इससे आपके बच्चे को लगता है कि उसने जो किया उससे आप खुश हैं। आप अपने शिशु की उपस्थिति मे दूसरों को भी बता सकते हैं कि किस तरह आपके शिशु ने पॉटी ट्रैनिंग के पहले चरण को पार कर लिया है।
कुछ माता-पिता बहुत जल्दी ही अपने शिशु को पुरस्कार या प्रशंसा इत्यादि देना बंद कर देते है। यह एक गलत बात है। मेरे मामले में, पॉटी ट्रैनिंग की शानदार सफलता के हफ्तों के बाद भी मैंने अपनी बेटी को पुरस्कृत करने का कोई मौका नहीं छोड़ा, हालांकि मैंने समय से प्रशंसा और पुरस्कार की मात्रा कम कर दी थी।
मुझे याद है, प्रारंभिक पॉटी ट्रैनिंग सत्रों में मेरी बेटी कितनी बेचैन थी। असल मे इसमें कुछ अजीब नहीं है क्योंकि इस उम्र में बच्चे टिककर नही बैठते और ना ही एक जगह पर ज़्यादा देर खड़े रह पाते है। उनको बस इधर से उधर भागना दौड़ना है। 1-2 मिनट से ज्यादा कहीं पर भी वो स्थायी नहीं रह सकते। मेरी बेटी को लंबे समय तक पॉटी सीट पर बिठाए रखने के लिए मैं उसे खिलौनों के साथ व्यस्त रखती थी।
ऐसे कई मामले हैं, जहां बच्चे पॉटी सीट का इस्तेमाल करने से इनकार करते हैं और यह किसी भी कारण हो सकता है। आपके बच्चे के ऐसा करने का एक कारण यह भी हो सकता है कि आपका बच्चा यह मान लेता है कि इस ट्रैनिंग के बाद उसको अकेले ही पॉटी करनी पड़ेगी और माता-पिता की भागीदारी समाप्त हो जाएगी। खैर, कारण जो कोई भी हो पर आपको सही कारण जानने की आवश्यकता है, और फिर किसी प्रकार का फ़ैसला लेने की।
माता-पिता होने के नाते आपको पॉटी ट्रैनिंग मे अपने बच्चे की मदद करने की आवश्यकता होती है। अपने शिशु का सही तरीके से मार्गदर्शन करें क्योंकि आपके बिना किसी काम की अकेले करने का यह उसका पहला अनुभव होगा।
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